कल तो बस इन्तहा ही हो गयी, में एक जगह कोरमंगला में चालीस मिनट तक खड़ा रहा जी हाँ में कार से था , इतना जादा में कभी नहीं झल्लाया. कार में बैठे बैठे मैंने सोचा की इस से अच्छा तो में साइकिल पर रहता हूँ, हस्ता खेलता जल्दी घर तो पहुँच जाता हूँ, और व्यायाम भी हो जाता है , तो आज सुबह उसी योजना के तहत मैंने बीवी को कार ले जाने को बोला, मुझे लगता है की अगर बंगलोर में कहीं कार ले जाने का फायदा है तो वो इलेक्ट्रोनिक सिटी है क्यूंकि पिछले ४ साल से उसकी बंद बजी पड़ी थी, पर हाँ अब उच्च राज्य-पथ के आ जाने के बाद कोई भी शख्स मात्र २० मिनट में वहां पहुँच सकता है !
तो बीवी गयी कार से और में आज हस्ता खेलता आया साइकिल से, बड़ी ही आनंदमय सवारी रही और में कार से जल्दी भी पहुँच गया. मुझे तो लगता है की आजकल पूरा बंगलोर ही खुदा पड़ा है, पर यह नगर निगम वाले भी मुझे हर बार अचंभित कर देते हैं, यह पूरे शहर में एकसाथ इतने सारे निर्माण कार्य कैसे शुरू कर सकते हैं..... खैर मुझे क्या करना में तो चला अपनी साइकिल पर!!!!
Monday, May 31, 2010
Lo Chala main!
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